जादू-टोना करने पर होगी 7 साल की सजा, लगेगा जुर्माना
प्रस्तावित अधिनियम में भूत भगाने के बहाने किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करना, लोगों को ठगने के लिए तथाकथित चमत्कार दिखाना, अलौकिक शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अघोरी प्रथाएं करना, कीमती चीजों की तलाश में काला जादू करना, मानव बलि देने की कोशिश करने को प्रतिबंधित गतिविधियों में रखा गया है।गुजरात विधानसभा ने बुधवार को काले जादू, मानव बलि जैसी अन्य तमाम अंधविश्वासी और अमानवीय प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया, जिसमें ऐसा करने वालों के लिए अधिकतम 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार ऐसे सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे, जिनकी सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा की जाएगी।इस विधेयक का नाम ‘गुजरात मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट, अघोरी गतिविधि और काला जादू रोकथाम व उन्मूलन विधेयक, 2024’ है, जिसे मॉनसून सत्र के पहले दिन राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने पेश किया। राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस बिल का समर्थन किया, जिसके बाद अब इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, राज्य की भाजपा सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट को बताया था कि वह काले जादू की प्रथाओं और अघोरी गतिविधियों के खिलाफ एक विधेयक लाएगी। यह आश्वासन उस जनहित याचिका के जवाब में आया था, जिसमें बाबाओं और ढोंगियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
विधानसभा में विधेयक पेश करते समय मंत्री संघवी ने मानव बलि की कुछ हालिया घटनाओं, अमानवीय अनुष्ठान करने के लिए बच्चों को तथाकथित ओझाओं को सौंपने और एक महिला को डायन बताकर उसकी हत्या करने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि काला जादू करने का दावा करने वाले ठगों के हाथों आम लोगों के शोषण की कई घटनाएं भी लगातार सामने आती रहती हैं। जिसके बाद उन्होंने ऐसे जघन्य अपराधों से निपटने और समाज से इन बुरी प्रथाओं को खत्म करने के लिए एक विशेष कानून की जरूरत बताई।संघवी ने कहा, ‘इसलिए, सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह इन हानिकारक और अमानवीय प्रथाओं के बुरे प्रभावों और प्रसार को प्रभावी ढंग से रोकने और खत्म करने के लिए उचित और सख्त कदम उठाए, ताकि आम लोगों को काला जादू करने वालों और इसके नाम पर उन्हें झांसा देने वाले ठगों से बचाया जा सके।’विधेयक के अनुसार, कोई भी व्यक्ति मानव बलि और अन्य अमानवीय, शैतानी और अघोरी गतिविधियों व काले जादू को न तो खुद करेगा और न ही उन्हें बढ़ावा देगा। साथ ही इस विधेयक में ऐसे अपराधों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 6 महीने से लेकर 7 साल की कैद की सजा देने और 5 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे, जिनकी सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा की जाएगी। साथ ही राज्य सरकार इन मामलों के लिए एक या एक से अधिक पुलिस स्टेशनों के लिए एक सतर्कता अधिकारी भी नियुक्त करेगी, जो कि पुलिस इंस्पेक्टर या उससे उच्च रैंक का होगा। विधेयक में कहा गया है, ‘सतर्कता अधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का पता लगाए और उसे रोके साथ ही ऐसे मामलों की रिपोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के निकटतम पुलिस स्टेशन से भी करे।’प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत भूत भगाने के बहाने किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करना, लोगों को ठगने या आतंकित करने के लिए तथाकथित चमत्कार दिखाना, अलौकिक शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ‘अघोरी’ प्रथाएं करना, कीमती चीजों की तलाश में काला जादू करना, मानव बलि देने की कोशिश करना और भूत बुलाकर दहशत पैदा करने को प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल किया गया है। साथ ही अलौकिक शक्तियां होने का दावा करते हुए किसी व्यक्ति को डॉक्टरी इलाज लेने से रोकना और इसके बजाय उसे ‘धागा-डोरा’ और ‘तंत्र-मंत्र’ उपचार देना भी इस विधेयक के अंतर्गत प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल है।